भारतवर्ष में यादव महासभा की नीवं रेवाड़ी राजवंश के राव बहादुर बलबीर सिंह जी द्वारा रखी गई I उन्होंने यादवों में सामाजिक, सांस्कृतिक,शैक्षिक एवं राजनैतिक चेतना की अलख जगाने हेतु 1910 ई० में “अहीर यादव क्षत्रिय महासभा” का गठन किया| इस संगठन ने यादवों को उनके गौरवमय इतिहास से परिचित करवाने का काम किया | इसके माध्यम से यादव समाज में राजनैतिक एवं सांस्क्रतिक चेतना आयी , रेवाडी, शिकोहाबाद, दिल्ली. कच्छ-भुज , मदुरै तथा देश के कई राज्यों में यादव कॉलेज तथा छात्रावास का निर्माण हुवा , महासभा ने अनेक शाखाओं एवं उपजातियों में विभक्त यादवों को एक छतरी के नीचे लाने का काम किया तथा समाज में व्याप्त अन्धविश्वास, कुरीतियों तथा बाल विवाह जैसे सामाजिक कुप्रथाओं का विरोध किया| राव बलबीर सिंह ने यादवों को गो रक्षा एवं जनेऊ पहनने के लिए प्रेरित किया|
धीरे-धीरे पूरे देश में हर राज्य में यादव समाज के संघठन कार्य करने लगे, देवगिरी राजघराने से सम्बद्ध विट्ठल कृष्ण जी खेडकर, चौधरी बदन सिंह उत्तर प्रदेश, राव छाजूराम तथा राव दलीप सिंह जैसे समाज्सेविओं ने अन्य गणमान्य यादव सरदारों से मिलकर इलाहाबाद में 1924 में देश भर में फैली सभी सभाओ का विलय करके राष्ट्रीय स्तर पर “अखिल भारतीय यादव महासभा” का गठन किया| 1968 के दोरान महासभा के शीर्ष नेत्र्तव में वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो गए और महासभा का विभाजन हो गया I
रेवाडी राजघराने से सम्बद्ध राव बीरेंदर सिंह जी ने 1969 में “भारतीय यादव महासभा” का गठन किया और 1972 में इसे विधिवत रूप से दिल्ली में सोसाइटी एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत करा लिया I तब से भारतीय यादव महासभा निरंतर समाज हित में कार्य कर रही है जिसने पूरे भारत के यादवो को एकजुट किया तथा कई एतिहासिक एवं सराहनीय कार्य किये i वर्तमान में राव इंदरजीत सिंह जी यादव महासभा के अध्यक्ष हैं.