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भारतीय यादव महासभा

BHARTIYA YADAV MAHA SABHA

मुख्य कार्यालय : रामपुरा हाउस , रिवाड़ी हरियाणा

दिल्ली कार्यालय : लोदी स्टेट, सुब्रमण्यम भारतीय मार्ग, नई दिल्ली

दूरभाष : 011-24643265 , 011-24643264


राव इंद्रजीत सिंह यादव
सांसद - गुड़गांव
(अध्यक्ष-भारतीय यादव महासभा)

Founder of Bhartiya Yadav mahasabha

राव बीरेन्द्र सिंह ‘शान ए अहीरवाल’

( संक्षिप्त जीवन परिचय)

राव बीरेन्द्र सिंह जी का सम्बन्ध रेवाडी राजकुल से था , इनका जन्म 20 फरवरी 1921 को हुआ। बचपन से ही होनहार रहे राव साहब ने बी.ए. की डिग्री दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफन्स कालेज से की और भारतीय सेना में आफिसर (कप्तान) बने I १९४१ में राव बलबीर सिंह के बाद आप रेवाड़ी राजकुल के वारिस बने I 1950 में आपका आई.पी.एस. के लिए भी चयन हुआ। परन्तु राव साहब ने मुलाजमात को स्वीकार न करके अपने पूर्वजों की तरह जनता की भलाई वास्ते राजनीति में कूद पड़े।

1954 में राव साहब पहली बार पंजाब विधान सभा के लिए निर्दलीय रूप से चुने गये। इसके बाद इन्होने अपने राजनैतिक जीवन में पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार चुनाव जीतते रहेI आपकी बढ़ती हुई लोकपिर्यता ,योग्यता और जनाधार को देखते हुए प्रताप सिंह कैरों ने इनको अपने मंत्रीमंडल में महतव्पूर्ण मंत्रालय की जिमेदारी दी । पंजाब सरकार में मन्त्री की हैसियत से जो निर्णय राव साहब ने लिए वो सराहनीय रहे। लोक निर्माण विभाग का मंत्रालय जब इनके पास था, तो इन्होंने अहीरवाल क्षेत्र, जो काफी पिछड़ा हुआ था, की तरक्की पर विशेष ध्यान दिया।

1961 में पृथक हरियाणा राज्य की मांग करते हुए राव साहब ने कैरों मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया। और लम्बे संघर्ष के बाद 1966 में पृथक हरियाणा राज्य का गठन हुआ। जिसका श्रेय इन्हीं को जाता है।

हरियाणा राज्य के गठन के बाद 1967 में पहली विधान सभा के चुनाव हुए , चुनाव में कांग्रेस हाई कमान ने राव साहब को मुख्यमंत्री बनाने का वायदा किया परन्तु चुनाव के बाद कांग्रेस हाईकमान मुकर गई, विधान सभा में राव साहब के समर्थक विधायको की संख्या काफी अधिक थी अत: इन्होंने कांग्रेस हाईकमान को चुनौती दी और अपना नया दल “विशाल हरियाणा पार्टी” का गठन कर लिया और 24 मार्च 1967 को हरियाणा राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। राव साहब देश में पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे। अपने मुख्यमंत्री काल में आपने जो लोक हितकारी फैसले लिए उन्हें आज भी हरियाणा का किसान नहीं भूल पाया है, आपका मुख्यमंत्री काल हांलाकि थोडा रहा परन्तु आज भी हरियाणा में आदर के साथ याद किया जाता है ।

1968 से 1971 तक राव साहब हरियाणा विधानसभा के विपक्ष के नेता रहे। 1971 के लोकसभा चुनाव में राव साहब पहली बार विशाल हरियाणा पार्टी के नुमाइन्दे के रूप में सांसद चुने गए

1980 में राव साहब ने दूसरी बार महेंदरगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ा और भारी बहुमत से पुनः सांसद चुने गए और श्रीमति इंदिरा गांधी सरकार में कृषि, सिंचाई, ग्रामीण विकास मंत्री बने । राव साहब ने कृषि मंत्री रहते हुए कई अहम और महत्वपूर्ण फैसले लिए जिससे वह किसानों में बड़े ही लोकप्रिय रहे।

1984 के लोकसभा चुनाव में राव साहब तीसरी बार महेंदरगढ़ से सांसद चुने गए और राजीव गांधी सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बनाए गएI परन्तु तभी 1988-89 में बोफोर्स तोप सौदे को लेकर राजीव गांधी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो राव साहब ने राजीव गांधी को एक कड़ा पत्रा लिखते हुए इस सब की जाँच की माँग उठाई, ये सत्ता पक्ष के पहले नेता थे जिसने बोफोर्स तोप सौदे को लेकर संसद में राजीव सरकार से सफाई मांगी थीI जब कांग्रेस में रहते हुए यह असम्भव दिखा तो 31 जुलाई 1989 को कांग्रेस पार्टी और लोकसभा से इस्तीफा दे दियाI इसके बाद राव साहब जनता दल में शामिल हो गए

1989 के आम चुनाव में राव साहब चौथी बार जनता दल के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए, और चन्द्रशेखर सरकार में मंत्री बने। इस तरह राव साहब ने अपने लम्बे राजनैतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण मंत्रालय और मुख्य मंत्री जैसे प्रतिष्ठित पदों को सुशोभित किया ।

राव साहब में दुर्लभ योग्यता, अद्भुत संगठन शक्ति, अद्वितीय आत्म संयम का समावेश था । विषम परिस्थितियों में भी राव साहब कभी विचलित नहीं होते थेI आपकी ईमानदारी, अहीरवाल क्षेत्रा के उत्थान के लिए शिक्षा के विस्तार के लिए अटूट प्रयत्न, न्याय तथा व्यवस्था के संस्थापन के लिए कठिन संघर्ष, हृदय की विशालता, कर्तव्य-परायणता, स्वाभिमानी, दबंग और आकर्षक व्यक्तित्व आदि गुणों ने जनमानस एवं हिन्दुस्तान की राजनीति को काफी दूर-दूर तक प्रभावित किया।

ग्रामीण जनता आपको मुक्तिदाता एवं अधिकार और कर्तव्यों का रक्षक समझती थी । आप में यह विशेषता थी, कि अपने राजनतिक स्वार्थ के लिए आप ने कभी झुकना स्वीकार नहीं किया , जब-जब ऐसा मौका आया आपने अपने सिद्धांतों एवं स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया।

राव साहब एक दूरदर्शी, जनप्रिय, जनहितैषी, कर्मठ, देशप्रेमी, स्वच्छ छवि के राजनेता ही नहीं थे, अपितु वे एक सच्चे समाज सुधारक, युवाओं के प्रेरणा- स्रोत तथा शिक्षाप्रेमी भी थे। सक्रिय राजनीति से अलग हटकर उन्होंने समाज की प्रगति के लिये कार्य किया और शिक्षा को ही समाज की प्रगति का मूलाधार मानकर उन्होंने गुणात्मक शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जहाँ एक ओर नई-नई शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की, वहीं दूसरी ओर पुरानी शिक्षण संस्थाओं के स्तर सुधार पर भी बल दिया।

आजकल की इस भ्रष्ट दुनिया में जहाँ अब राजनीति अवसरवादिता, आंतक, घूस, पच्चर और पांखड की हो गई है।राव साहब जैसा स्पष्ट, सच्चा, ईमानदार, स्वाभिमानी राजनीतिज्ञ मिलना दुर्लभ है। हरियाणा की जनता एवं अहीरवाल क्षेत्र आप पर हमेशा गर्व करता रहेगा I तभी तो किसी ने ठीक ही कहा है :-

समय तो नदी की धारा है, सब जन बह जाया करते हैं।
बिरले ही ऐसे होते हैं, जो इतिहास बनाया करते हैं